राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और आर्य समाज , तर्क पूर्वक विचार

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आर्य समाज वालो! सावधान. ।
भाग 1

    22 जनवरी 2024 को अयोध्या के श्री राम मंदिर में होने वाले "प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव" का आप लोग जो सोशल मीडिया आदि में विरोध कर रहे हैं, और कह रहे हैं कि "यह वेद विरुद्ध है पाखंड है।" हां, यह सत्य है कि यह पाखंड है, वेद विरुद्ध है।

      *परंतु यह कार्य वेद विरुद्ध होते हुए भी आपको इसका विरोध नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह कार्य देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी देश धर्म की रक्षा करने के लिए करवा रहे हैं।* *क्या आप स्वयं, आपके बच्चे आपके माता पिता चाचा चाची क्या वेद विरुद्ध आचरण नहीं करते? तब क्या आप अपना और अपने माता-पिता आदि का विरोध सोशल मीडिया में करते हैं? यदि नहीं करते, तो प्रधानमंत्री जी का विरोध क्यों कर रहे हैं? ज़रा सोचिए, देश विदेश के बुद्धिमान लोग क्या आपको मूर्ख नहीं कहेंगे?* मोदी जी का विरोध तब करना चाहिए, जब आपके पास मोदी जी से कोई अधिक अच्छा विकल्प हो। 

       *क्या आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति है, जो पूर्णतया आर्यसमाजी हो, जिसे देश की जनता वोट दे कर प्रधानमंत्री बना दे, और वह प्रधानमंत्री पद पर बैठकर सारे काम वैदिक रूप से करे?*

     *जब आपके पास ऐसा कोई विकल्प है ही नहीं, तो आप मोदी जी का विरोध कर के, उनके वोट छीन कर किसको प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं? विधर्मियों को? वे आपकी तथा आप की वैदिक संस्कृति की रक्षा करेंगे?* ज़रा ठंडे दिमाग से सोचिए।

     *"देश के प्रधानमंत्री जी के देश रक्षा कार्य का विरोध करना, देशभक्ति नहीं, बल्कि देशद्रोह है।"* क्या मोदी जी नहीं जानते, कि यह कार्य वेद विरुद्ध है, पाखंड है। वे अच्छी तरह से जानते हैं, परंतु देश को संगठित करने के लिए, देश धर्म की रक्षा करने के लिए, उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। देश धर्म की रक्षा के लिए, *अश्वत्थामा मारा गया*, युधिष्ठिर जी से ऐसा कहलवाकर, क्या ऐसी चतुराई श्री कृष्ण जी महाराज ने नहीं की थी? उनका विरोध आप क्यों नहीं करते? यदि श्री कृष्ण जी महाराज राजा थे, तो श्री मोदी जी भी तो देश के राजा हैं। *वेदों के अनुसार राजा को इतना अधिकार होता है, कि वह देश धर्म की रक्षा करने के लिए, दुष्टों को नष्ट करने के लिए, चालाकी से कुछ झूठ छल कपट का प्रयोग कर ले।* 

    एक वर्ष पहले श्री मोदी जी ने महर्षि दयानंद जन्म द्विशताब्दी महोत्सव आरंभ करते समय जो आर्य समाज और महर्षि दयानंद जी की प्रशंसा की थी, क्या वे नहीं जानते कि वैदिक सिद्धांत क्या है? और प्राण प्रतिष्ठा पाखंड है! वे सब जानते हैं। अच्छी तरह से जानते हैं। फिर भी देश धर्म की रक्षा करने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। *न वे आर्य समाज के प्रचारक हैं, न आर्य समाज के प्रधान हैं, और न ही देश की जनता आर्य समाजी है। यदि वे आर्य समाज के प्रचारक या प्रधान होते, और देश की जनता आर्य समाजी होती, तब वे प्राण प्रतिष्ठा करवाते, तब तो आप द्वारा उनका विरोध करना उचित होता।*

      परंतु आज तो भारत देश में सैकड़ों संप्रदायों के लोग रहते हैं। मोदी जी उन सबके प्रधानमंत्री हैं, केवल आर्य समाज या आर्य समाजियों के नहीं। उन्हें सारे देश की जनता को देखना पड़ता है। उनका कर्तव्य भारत देश की प्राचीन सभ्यता संस्कृति वेदों आदि की रक्षा करना है। इस काम के लिए वे ऐसा सोचते हैं कि *भारत की जनता को प्रसन्न करके वोट प्राप्त किया जाए। और सत्ता में रहकर वेदों की और प्राचीन सभ्यता संस्कृति की रक्षा की जाये।* महर्षि दयानंद जी को उनके कार्यों को वैदिक सिद्धांत को वे आप लोगों से अधिक जानते हैं। *उनका उद्देश्य सबका संगठन करना और विधर्मियों से देश की रक्षा करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं।* वे बहुसंख्यक हिंदुओं का संगठन करना चाहते हैं। और यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम उनके संगठन का ही एक उपाय है। *वे देश धर्म की रक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं, कोई अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि नहीं कर रहे।* आप इस बात को क्यों नहीं समझते?

    *आप अयोध्या में जा कर इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम के लिए देश की करोड़ों हिंदू जनता का उत्साह तो देखिए। आप जो इस महोत्सव में प्राण प्रतिष्ठा का विरोध कर रहे हैं, यह केवल प्राण प्रतिष्ठा का विरोध नहीं है, केवल प्रधानमंत्री जी का विरोध नहीं है, बल्कि देश के बहुसंख्यक करोड़ों हिंदू समुदाय का विरोध है। क्या आपको ऐसा लगता है कि आपके रोकने से यह रुक जाएगा? नहीं। यह तो होकर रहेगा। और इस महोत्सव के बाद जो आपकी दुर्गति इस देश का हिंदू समुदाय करेगा। उसको गंभीरता से सोचकर देखिए, आपकी आत्मा भी कांप जाएगी। आप इस बात को इतने हल्के में न लें। इस पर गंभीरता से विचार करें।*

क्रमशः भाग 2

आर्य समाज वालो! सावधान.
भाग 2
मंदिर आदि स्थान ईश्वर की पूजा करने के लिए नहीं बनाए जाते। ये तो संगठन करने के स्थान हैं। ईश्वर की पूजा तो व्यक्तिगत कार्य है। वह तो अपने घर में होता है। परंतु देश की रक्षा करने के लिए और समाज को संगठित करने के लिए जो स्थान बनाया जाता है, वह मंदिर कहलाता है। वहां सब बैठकर संगठित होकर देश की रक्षा के लिए सोच विचार चिंतन मनन करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, और देश की रक्षा करते हैं।


“यदि श्री मोदी जी सत्ता में रहेंगे, तभी देश की रक्षा हो पाएगी।” यह तो आपने पिछले 8/9 वर्षों में देख ही लिया होगा। यदि श्री मोदी जी सत्ता में नहीं रहे, तो देश की रक्षा नहीं हो पाएगी। शायद इस बात को समझने की बुद्धि आपमें हो। यदि है, तो श्री मोदी जी के इस कार्य का विरोध न करें। “आप जो यह विरोध कर रहे हैं, यह केवल प्राण प्रतिष्ठा का विरोध नहीं है, यह श्री मोदी जी का विरोध है। देश के रक्षक प्रधानमंत्री जी का विरोध है।” मोदी जी सत्ता में तभी तो रहेंगे, जब उन्हें बहुमत से वोट मिलेगा। यह तो जनता को प्रसन्न करके वोट लेने की राजनीति है, जिससे कि वे सत्ता में बने रहें और देश की रक्षा करते रहें। यदि देश की रक्षा होगी, तो आपकी भी रक्षा होगी। यदि आपने इस कार्य का विरोध किया और हिंदू संगठन नहीं हो पाया, और बहुसंख्यक हिंदू का वोट मोदी जी को नहीं मिल पाया, और वे यदि सत्ता में नहीं रहे, तो भारत देश की रक्षा नहीं हो पाएगी। न हिंदू बचेगा, न आर्य समाज। और इन दोनों के विनाश का कारण “केवल आर्य समाज” होगा, क्योंकि उनके इस कार्य का विरोध केवल आर्य समाज कर रहा है। इसलिए सावधान हो जाइए। अपने सर्वनाश को निमंत्रण मत दीजिए।


थोड़े से आर्य समाजियों द्वारा विरोध करने के बावजूद भी यदि मोदी जी अपने कार्य में सफल हो गए। (जो कि वे सफल हो भी जाएंगे।) हिंदू संगठन हो गया, और मोदी जी सत्ता में बने रहे, तो क्या वे आर्य समाज का सम्मान करेंगे या विनाश करेंगे? आर्य समाज का विनाश तो तब भी वे अवश्य ही करेंगे। क्योंकि आप लोग ही उनके विरोधी हैं। इसलिए आप लोग बुद्धि से काम लें और अपने सर्वनाश को निमंत्रण न दें। इसी में बुद्धिमत्ता है। यह कार्यक्रम मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का नहीं है, देश की रक्षा के लिए संगठन का कार्य है। इसमें सहयोग करें।


फोटो भी जड़ है, और मूर्ति भी जड़ है। दोनों ही जड़ पदार्थ हैं। क्या आप अपने घरों और आर्य समाजों में श्री राम जी का फोटो नहीं लगाते? यदि लगाते हैं, तो अयोध्या के मंदिर में मूर्ति की स्थापना करने में आपको क्यों जलन हो रही है? क्या यह मूर्खता नहीं है?
इसलिए आप अयोध्या में मंदिर बनाने का समर्थन करें। उसमें यज्ञ करने और वेदों का पठन पाठन करने का समर्थन करें। मंदिर में मूर्ति स्थापित करने का समर्थन करें। श्री राम जी चक्रवर्ती आर्य राजा थे। आप भी आर्य हैं। इस बात की आपको बहुत प्रसन्नता होनी चाहिए, कि आपके दादा परदादा श्री राम जी आर्य चक्रवर्ती राजा के विश्वदर्शनीय स्मारक की स्थापना हो रही है। और उनकी मूर्ति स्थापित हो रही है। आप मूर्ति की पूजा और प्राण प्रतिष्ठा का समर्थन न करें। परंतु इस विषय में विरोध भी न करें। इस विषय में आपका मौन रहना ही उचित है। जैसे आप अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गों के दोषों का समाज में विरोध नहीं करते, वहां मौन रहते हैं। ऐसे ही यहां भी आपको मौन रहना उचित है। यही आपके लिए और देश के लिए हितकर है।


आप आर्य समाज के लोग अपने बच्चों को गुरुकुल में नहीं पढ़ाते, ब्रह्मचर्य का पालन भी ठीक प्रकार से नहीं करते। अपने घरों में पंचमहायज्ञ नहीं करते। बड़ी आयु हो जाने पर भी वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं करते। संन्यास नहीं लेते। मोक्ष के लिए पुरुषार्थ नहीं करते। क्या आपके ये सब कार्य अवैदिक नहीं हैं? अपने बच्चों को विदेशी भोजन पिज्जा बर्गर आदि खिलाते हैं। जन्मदिन पर केक काटते हैं। आपके घरों में भी अभी मूर्ति पूजा पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई। क्या आपके ये सब कार्य अवैदिक नहीं हैं?
जब आप स्वयं अवैदिक कार्य कर रहे हैं, तो देश की रक्षा के लिए हिंदू संगठन के लिए, इस महोत्सव का विरोध करना क्या मूर्खता की बात नहीं है? और अपने विनाश को निमंत्रण देना नहीं है? इसलिए आप लोग सावधान हो जाएं। या तो इस महोत्सव कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री जी का विरोध तत्काल बंद करें, या फिर अपने सर्वनाश के दिवस की प्रतीक्षा करें।


आप आर्य समाजी होते हुए, अपने आप को वैदिक मानते हुए भी, जन्मदिन के अवसर पर आप अपने बच्चों की केक काटने की अवैदिक बात को भी मान लेते हैं या नहीं? क्यों मान लेते हैं? ताकि घर में शांति बनी रहे, घर का संगठन बना रहे। तब क्या आप अवैदिक नहीं हो जाते? तब क्या आप अपना या अपने परिवार वालों का विरोध करते हैं?
इसी प्रकार से यदि देश धर्म की रक्षा करने के लिए श्री प्रधानमंत्री जी भी देश के बहुसंख्यक नागरिकों हिंदुओं की इस अवैदिक बात को भी मान रहे हैं, ताकि देश में संगठन बना रहे, शांति बनी रहे, और देश की रक्षा हो पाए, तो आप उनका विरोध क्यों कर रहे हैं? आपको यह बात समझ में क्यों नहीं आती?
ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे। आप मेरी बात को समझने का प्रयत्न करें। भारत देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का समर्थन करते हुए अपनी और भारत देश की रक्षा करें।

आर्य लोग यह तो कह सकते हैं कि श्री रामचन्द्र जी महाराज आर्य राजा थे। वे यज्ञ करते थे। वेदों के विद्वान थे। उन्होंने शासन वेदों के अनुसार चलाया। तो अयोध्या में श्री रामचन्द्र जी के मंदिर में भी वेदों का पठन-पाठन होना चाहिए। प्रतिदिन यज्ञ होना चाहिए। तब उनका मंदिर बनाना पूर्णतया सार्थक होगा। अन्यथा उसमें अधूरापन रहेगा।
जब आर्य लोग, आर्य समाज में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी महाराज की जय बोलते हैं। तो अब उनके मंदिर में उनकी मूर्ति स्थापना पर भी उनकी जय बोलनी चाहिए। ज़ोर से बोलो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी महाराज की जय।


— आप सबका शुभचिंतक। एक देशभक्त भारतीय नागरिक।

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